Thought #6

6th April, 2019 1130 Hrs

अकेला हो जाता हूं….

दिन के उजाले में मै
आस-पास रहकर खुश हो जाता हूं।
तेरी एक मुस्कान कि वजह बनने के लिए
मै सबकुछ भूल जाता हूं॥

आंखें बंद रखकर मै
तेरी आंखो में खो जाता हूं।
तेरे चाहत का ही असर है
मै हर पल तेरा हो जाता हूं॥

अपनों के साथ रहते हुए भी
मै तेरे खयालों में डूब जाता हूं।
चाहनेवालों के इस भीड़ में भी
मै तेरे बिन अकेला हो जाता हूं॥

दिन ये जब ढलती है
में तुझसे जुदा हो जाता हूं।
थोड़ी सी जुदाई से भी,
मै बेचैन हो जाता हूं॥

दर्द ये जुदाई का ज़ालिम है
मै हज़ार टुकड़ों में टूट जाता हूं।
प्यार के आंसू लिए हुए
मै याद करते करते सो जाता हूं॥

ज़ालिम खुदा के इस दुनिया को
दिल से कोसने लगता हूं।
पर जब करता आंखे बंद मै, खुदा…
सपनों कि दुनिय में मै
उसके संग हो जाता हूं॥

– Capricious

#MeriMarzi
6th April, 2019

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